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. जैन महाभारत
मुख लाल अगारे की भाति हो गया। उन के इस रूप को : देर । कर -सैनिक घबरा गए और जब श्री कृष्ण द्वार से निकलने लगे, किसी का साहस न पडा कि उन्हे रोक सके ।- वे निकले हुए चले गए और सीधे विदुर जी के निवास स्थान पर गए । जहाँ कुन्ती ने उन मे राज सभा मे हुए वार्तालाप के परिणाम को पूछा और जब श्री कृष्ण ने बताया कि सन्धि वार्ता असफल रही तो वीर क्षेत्राणि कुन्ती का रोम रोम'जल उठा उस ने श्री कृष्ण से कहाँ - "तों मधु मूदन ! आप मेरे पांचो सिंह समान पुत्रो से जा कर कह दे कि वे युद्ध के लिए तैयार हो जाय । न्याय के लिए वे अपने प्राणों का भी मोह छोड कर युद्ध करे और विजयी हो कर आये। वे मेरी कोख को न लजाए और प्रांतताइयो को दिखलाद कि कुन्नी की मन्तान कायर नहीं है।"
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