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जैन महाभारत
नही हो सकता । भीम ने कहा परन्तु यदि आप इन्हे यहां से नही हटाएगे तो आप काल के मुह मे चले जायेंगे।
____ मैं काल का भी काल हूं आने तो दो उस असुर को मैं मार कर न भगा दू तो मेरा नाम भी भीम नहीं।'
प्रेम के मारे वह कहने लगी- देखिये आप मेरी बात मान लीजिए, कही ऐसा न हो कि बाद को पश्चाताप करना पड़े। मैं ने किसी मनुष्य को अपना जीवन साथी न बनाने का निश्चय किया था, पर आप को देखते ही मेरा वह निश्चय मिट गया, मैं आप को अपना स्वामी मान चुकी है। अतएव मैं अपने स्वामी को सकट मे पडते देखना नही चाहत्ती।
इतने मे हिडम्बासुर बहुत देरी होने के कारण स्वंय वहां चला आया और उसने हिडम्बा की अन्तिम बात सुन ली । उसे हिडम्बा पर वडा क्रोध आया, और इससे भी अधिक - भीमसेन पर। उसने जाते ही भीम सेन पर आक्रमण कर दिया । भीमसेन ने तुरन्त फुरती से उस का दाव काट दिया और उसने हिडम्बासुर की टाग पकड ली। वह उसे घसीटता हुआ दूर ले गया, ताकि मार धाड़ से भ्राताओ की निद्रा भग न हो जाये। भीम और हिडम्बासुर मे टक्कर होने लगी। हिडम्बासुर बार वार बड़े ज़ोर से चीख कर भीम की ओर झपटता, पर भीम उसे अपनी ठोकरों से गिरा देता । बार वार चीखने की आवाज सुन कर अर्जुन की आख खुली और पास खड़ी एक सुन्दरी पर उसकी दृष्टि पडी, तो आश्चर्य चकित हो कर पूछा-"भीम कहा चला गया ? यह आवाज कैसी आ रही है ? तुम कौन हो ?' एक ही श्वास मे उसने कई प्रश्न उठा दिए।
चिन्तित हिडम्वा ने दूर, जहा हिडम्बा और भीम युद्ध रत्त थे, की ओर सकेत करके कहा- “वहा हिडम्बासुर उन्हे मार रहा रहा है।" अर्जुन ने धनुष बाण सम्भाले और तत्काल उधर गया । उसने देखा कि हिडम्बासुर भीम पर वार वार आक्रमण कर रहा है, उसने समझा कि भीम हिडम्बासुर के आगे कमजोर पड़ रहा है अतएव उसने भीम सेन को पुकार कर कहा-“भैया ! तुम कहो तो मैं इसे अभी ही वाणो से मार डालू । घबराना नही ।" भीम