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हिडम्बा विवाह
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ही लोग घबराते है।
भीमसेन ने फिर भी लापरवाही दर्शाते हुए कहा-"वहीं धवराते होंगे जिनमे वल नही । वीर पुरुष किसी से नही घबराते।"
भीम की इन बातो ने हिडम्बा पर जैसे जादू कर दिया हो, वह उस पर मुग्ध हो गई । उसने सहानुभूति दर्शाते हुए कहा - मेरा मतलब यह है कि आप यहा से शीघ्र चले जाईये वरना हिडम्वा सुर आप को मार डालेगा।"
भीम मुस्करा उठा, उसने कहा - "पाप की सहानुभूति का धन्यवाद ! आप चिंतित न हो हिडम्वा सुर कुछ करेगा तो स्वय अपनी मौत बुलायेगा।"
वह कुछ और निकट आ गई अनेक यत्नो से भीम को अपनी ओर आकर्षित करने की चेष्टा की पर भीम ने एक बार भी उसके अनुपम सौदर्य पर अच्छी प्रकार दृष्टि न डाली । इस वात से हिडम्बा व्याकुल हो गई और उस ने मन ही मन निश्चय कर लिया कि विवाह करेगी तो इसी पुरुष से। उसने निकट जाकर कहा- “मैं हिडम्बा सुर की वहन हूं। मुझे उसने इस लिए भेजा था कि आप को ले जाकर उसे सौप दू पर आप ने मुझे बहुत प्रभावित किया है। आप चाहे कुछ कहे मैं आपको अपना पति मान चुकी है। इस लिए श्राप की रक्षा करना मेरा कर्तव्य है। आप यहा से तुरन्त हट जाय । मैं कितनी ही विद्याए जानती हुँ । आप जहा चाहे मैं आपको वही पहुचा सकती है। आप मुझ पर ही ध्यान करे मेरे साथ यहा से चले चलिए।"
तव भीम ने उसे गौर से देखा और बोला-"तुम कहती हो कि मैं तुम्हारे साथ भाग चलू । क्या अपने भाईयो को उस पिगाच के लिए छोड़ जाऊं।"
यदि तुम्हे उनसे मोह है तो इन्हें भी जगा लीजिए मैं उन्हे भी अधिक सुरक्षित स्थान पर पहुचा दंगी। वह बोला "क्या था. मर सोये अपने भ्रातायो को जगा कर उन्हें कष्ट दू । नही मुक