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जैन महाभारत
योजना अनुसार सुशर्मा ने दक्षिण की ओर से. मत्स्य देश पर आक्रमण कर दिया। मत्स्य देश के दक्षिणी भाग से त्रिमत राज को सेना छा गई और गायो के झुण्ड के झुण्ड सुशर्मा की सेना ने हथिया लिए, लहलहाते खेत उजाड़ डाले, बाग बगीचो को तबाह कर दिया। ग्वाले तथा किसान जहां तहां भाग खड़े हुए और राजा विराट के दरबार मे दुहाई मचाने लगे। विराट ने जब यह समाचार सुना उसे बडा खेद हुआ। उसने कहा - "हा. गोक! ऐसे समय पर शूरवीर कीचक- नहीं रहा। उस को मृत्यु का समाचार पा कर ही मुशर्मा को मत्स्य देश-पर आक्रमण करने का साहस हुआ।"
उन्हे चिन्तातुर होते देख कर कंक (युधिष्ठिर) ने उनको मान्त्वना देते हुए कहा-राजन् ! आप चिन्तित क्यो होते है। कीचक नही रहा तो क्या मत्स्य राज्य अनाथ हो गया? आप मेनाए तो तैयार करवाये। सुशर्मा जैसे लोगो का यह भ्रम आपको तोडना ही चाहिए कि कीचक मारा गया तो विराट नरेश के पास कोई शक्ति ही नहीं रही।"
"यह भ्रम टूटे तो कैसे? मैं स्वयं तो वृद्ध हो चुका है। कीचक और उपकीचक सभी मारे गए अव सेना मे ऐसा कोई वीर नही जो सुशर्मा का सामना कर सके। अफसोस कि मैने सौरन्ध्री को अपने रनिवास में स्थान देकर स्वय ही अपनी वरवादी को निमन्त्रित किया।"-~-इतना कह कर विराट बहुत दुखित होने लगे ।
उमी ममय कंक ने कहा-"महाराज! आप घबराइय नहीं। यद्यपि में मन्यासी वाह्यण हैं फिर भी अस्त्र विद्या जानता हूं। मैने सुना है कि आपके रसोइये, बल्लभ अश्वपाल ग्रंथिक और ग्वाला निपाल भी बड़े कुशल योद्धा हैं। मैं कवच पहन कर रथारूढ़ होकर युद्ध क्षेत्र मे जाऊगा। आप उनको भी प्राज्ञा देदें। उनके लिए रथी, वस्त्रो तथा अस्त्र शस्त्रो का प्रबन्ध करद । फिर देखिये कि सुगर्मा का भ्रम कैसे टूटता है।"
"क्या वास्तव मे तुम चारो अस्त्र शास्त्र चलाना जानते हो?"