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जन महासमारत.. ।
थी। पाठको को याद होगा. कि उसी अगुठो के सहारे पाण्डू नृप कुन्ती से मिले थे। इस प्रकार की कितनी ही सुविधाए वेप बदलने और रूप रग आदि इच्छानुसार परिवति न करने के लिए पाण्डवो को उप्लब्ध थी। , अर्जुन ने उस समय पाण्डु नृप वाली अगूठी के सहारे अपना नपुंसक जैसा रूप धारण कर लिया और विराट नृप की राजधानी की ओर चल पड़े। .
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