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* द्वादस परिच्छेद *
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बकासुर वध,
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द्रौपदी के साथ पाचों पाण्डव एक चक्री नगर में पहुंचे । वे एक ब्राह्मण के घर ठहर गए और भिक्षा माग कर अपनी गुजर करने लगे । कहते हैं भिक्षा से जो मिलता, उस मे से आधा भीम को दे देते और शेष मे चारो भ्राता तथा द्रौपदी गुजर करते । क्यों, कि भीम सेन में जितनी अमानुषिक शक्ति थी उतनी ही अमानुषिक
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भूख भी थी। यही कारण था कि लोग उसे वृकोदर भी कहते
थे । वृकोदर का अर्थ है भेडिये के से उदर वाला । भेडिये का पेट छोटा सा प्रतीत होने पर भी मुश्किल से ही भरता है । भीम सेन के पेट की भी यही दशा थी भिक्षा से जो मिलता था उसमे से आधा उसे मिलने पर भी उस से उसका पेट न भरता,
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हनेशा ही भूखा रहने के कारण वह दुबला भीम सेन का यह दशा देख कर द्रौपदी और
उसे सन्तोप न होता ।
होता जा रहा था । युधिष्ठिर बड़े चिन्तित रहने लगे ।
होती और वह बुरी
जब थोडे से अन्न से भोम की पूर्ति न तरह परेशान रहने लगा तो उस ने एक कुम्हार से मित्रता कर ली और उसे मिट्टी खोदने यादि मे सहायता देकर प्रसन्न कर लिया | कुम्हार उस से वहुत प्रसन्न था उसने एक वडी हाण्डी बना कर उसे दी । भीम जब हाढी को लेकर भिक्षा लेने जाता तो उसके