________________
जैन महाभारत
५८८
ग्रामीणों को और उचित सुख-सुविधा के साधन आदि जुटाने का आश्वासन दिया ।
इस प्रकार विवाहोपलक्ष में दान आदि देते हुए श्रीकृष्ण आदि राजाओं के उचित स्वागत सत्कार में लग गये। कई दिनो तक आतिथ्य स्वीकार कर सब राजा अपनी अपनी राजधानियों को लौट गये ।
नोट- प्रागम के उल्लेख से ज्ञात होता है कि द्र ुपद राजा, सम्यत्वी अर्थात् हित प्रतिपादित धर्म को स्वीकार करने वाला नही था, क्योकि सम्यत्वी के सुरा पान और मासाहार का प्रयोग नही होता । और द्रोपदी भी निदानकृत होने से सम्यक्त्व धर्मं को पालन करने वाली नही थी। किन्तु निदान पूर्ति के जिस पश्चात् महाराज पाण्डु के यहाँ ग्राकर उसे धर्म की अवश्य प्राप्ति हुई थी, के प्रभाव से आगे स्वर्ग मे जाकर बाद मे मोक्ष प्राप्त करेगी ।
द्रौपदी स्वयंवर पर्यन्त प्रथम भाग
Ming
समाप्त