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जैन महाभारत 'परन्तु इस के बावजूद । बैर बढ़ने से आप को किसी भी समय इसका दुखद परिणाम भोगना होगा।'
युधिष्ठिर की बात सुन कर द्रोणाचार्य बोले-'तुम्हारे जैसे विचारों के लोगो से राज काज कभी नहीं चल सकता।'
__'महाराज ! श्राप कुछ भी कहे। मैं समझता हूं यह सब ठीक नहीं हुआ। किसी से भी अनावश्यक वैर बांधना बुरा है। इसके अतिरिक्त ब्राह्मण को राज्य के प्रपच मे पड़ने की क्या आवश्यकता है। हम आप के इतने सेवक हैं फिर आप को कमी किस चीज की थी।'
युधिष्ठिर ने कहा। पर द्रोणाचार्य ने उनकी बात का कोई उत्तर नहीं दिया।