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कृष्ण वध का प्रयत्न
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सोम भूप ने अपनी भूल अनुभव करके कहा---उन्होंने आपको यह सन्देश भेजा है कि कस के हत्यारों को आपने अपनी शरण में लेकर उनसे अपनी मैत्रि और उसके नियमों का उल्लघन किया है । मैत्री बनाए रखने के लिए वे इस भूल को भूल जायेंगे, आप उन्हें मेरे हवाले कर दें। और इस प्रकार उनके जामता की हत्या करने वालों को उचित दण्ड देने में सहयोग दें।"
समुद्रविजय को सोम भूप की बात सुनकर क्रोध आ रहा था, पर वे अपने मनोभावो को छुपा रहे थे। उन्होंने कहा-"सोम भूप । आप उन से जाकर कह दें कि हम कस वध को न्याय पूर्ण मानते हैं। दुष्ट को दण्ड देना हम सब का कर्तव्य है । न्याय तो यही कहता था कि जरासघ ही उस दुष्ट को दण्ड देते । पर जब उन्होंने अपने कर्तव्य को नहीं निभाया तो इन कुमारों ने इस कार्य को पूर्ण किया। इस पर तो उन्हें उनको बधाई देनी चाहिए थी। हम तो इस प्रतिक्षा में थे कि
आप उनका इन कुमारों के लिए बधाई का सन्देश पहुँचायेगे। उल्टे इन वीरों के विरुद्ध ही आप कह रहे हैं । न यह तर्क संगत है और न न्याय संगत ही । अतएव अन्याय पूर्ण बात में हम उन का साथ नहीं दे सकते।"
"देखिये ! आप उनके मित्र हैं। आपको उन्हें सहयोग प्रदान करना चाहिए।" __"मित्र का यह कर्तव्य नहीं है कि वह अपने मित्र को कुपथ पर भी सहयोग दे, समुद्रविजय ने कहा, आप उनसे जा कर कह दें कि समुद्रविजय उनकी अन्याय पूर्ण वातों में कोई सहयोग नहीं दे सकते।" ____ "इन कुमारों को आप मेरे हवाले कर दे । यही आपके लिए उचित है।" सोम भूप बोला।
"भाप उन से जाकर कह दे कि इन वीरों ने अपने छ भ्राताओं की हत्या का कस से बदला लिया है । अतएव उन्हें कोई दण्ड नहीं दिया जा सकता। आप भी तो भूप हे आप स्वय ही सोचें कि क्या जरासघ का इन कुमारों पर कोप अनुचित नहीं है ?"