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कंस वध
४२७ श्रीकृष्ण ने कहा-"लो उठाओ अपने साथियों को। नाड़ी देखो और पूछो कि वे कहा मुह मोडे जा रहे हैं।" । ___ दर्शकों ने उसी समय करतल ध्वनि और खिलखिलाहट से श्रीकृष्ण व बलराम का अभिनन्दन किया। गोकुल वासियों ने श्रीकृष्ण को छाती से लगा लिया। उपस्थित राजाओं को दोनों भ्राताओं का बल देख कर असीम आश्चर्य हुआ, वसुदेव की प्रसन्नता का ठिकाना न था और समुद्रविजय के अधरों पर मुस्कान खेल रही थी। किन्तु कस को बहुत क्रोध आया । उसका कोप बिखर गया, वह अपने सैनिकों को सम्बोधित करके बोला-क्या देखते हो इन दोनों को तुरन्त पकड कर मार डालो, और उस नन्द को जिसने दूध पिला पिला कर इन सपोलियों को पाला है, उसे भी नाकर पकड़ लो और यम लोक पहुचा दो। जो कोई मूर्ख इनका पक्ष ले उसे भी मार डालो। नन्द पार उम के पक्ष लेने वालों की सम्पत्ति लूट लो। इन्हें बता दो कि कस का सामना करने की मूर्खता करने वालों को जगत् में जीवित रहने का कोई अधिकार नहीं है । कस अपने बैरियों को सहन नहीं कर सकता।" ____ कस के इस द्वषपूर्ण आदेश को सुन कर श्रीकृष्ण तुरन्त बोल उठे-"अहकारी कस पहले अपनी रक्षा कर फिर नन्द आदि को मरवाने की बात करना । दुष्ट ठहर, मैं पहले तुझे ही यम लोक पहुचाता हूँ।" इतना कह कृष्ण तुरन्त दौड कर मच पर पहुच गए और उस की घोटी पकड कर इतने जोर से घुमाया कि कस होश भूल गया । वे उसे भूमि पर खींच लाये । मुकट धूलि धूसरित हो गया, वस्त्र फट गए और थोड़ी ही देर में उसकी बुरी दशा हो गई । कस ने बहुत हाथ पाव मारे, पूरी शक्ति से श्रीकृष्ण से छूटने का प्रयत्न करता रहा, पर सिंह के सामने जैसे मृग की एक नहीं चलती इसी प्रकार कस के सारे प्रयत्न निष्फल हो गए।
श्रीकृष्ण उसे धूल में रुटकाते जाते और कहते जाते-"अन्यायी तू अपनी रक्षा के लिए वाल हत्या करने से भी नहीं हिचकिचाया, तू ने मेरी हत्या करने के लिए अनेक षड्यन्त्र रचे, तू ने प्रत्येक पाप को करने में अपनी शान समझी । आज तुझे तेरे पापों का फल भोगना पडेगा। मैं तेरे लिए काल रूप बन कर आया हूँ। यदि कोई तेरा सहायक हो तो उसे बुला।"