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शुक्ल जैन महाभारत * प्रथम परिच्छेद के
__ हरिवंश की उत्पत्ति उस जम्बूद्वीप के वत्स नामक देश की राजधानी कौशाबी नगरी है । यह कोशाबी नगरी यमुना के तट पर अवस्थित है । इस नगरी के विशाल भवनी और अट्टालिकाओं के प्रतिबिम्ब जव यमुना के निर्मल नील जल में पडकर नाचने से लगते हैं तो उनकी शोभा सचमुच दर्शनीय हा जाती है । इस नगरी की सुन्दरता का कुछ वर्णन ही नहीं किया जा सकता। इस कौशाबी नगरी में उस समय सुमुख नामक महाराजा राज्य करते थे। इस परम प्रतापी महीप का तेज सूर्य समान सव दिशाओं में व्याप्त हो रहा था। सारी प्रजा नीतिनिरत सन्तुष्ट
और सतत धर्म कार्यो मे सलग्न रहती थी। जो राजा स्वय धर्म परायण हो उसकी प्रजा भला क्यों न धमोत्मा होगी । अत्याचारी दुष्टों का निग्रह और धर्म मार्ग में लीन सदाचारियों पर अनुग्रह के द्वारा इस शासक ने अपने राज्य मे सर्वत्र सुख शांति की स्थापना कर रखी थी। इस प्रकार महाराज सुमुख धर्म मार्ग में रहते हुए धर्म, अर्थ, काम इन तोनों पुरुषार्थी का यथाविधि उपार्जन करते हुए अपने जीवन को सफल वना रहे थे।
सुमुख महाराज कौशांबी में इस प्रकार धर्मानुसार राज्य-व्यवहार चला रहे थे कि एक समय काल क्रमानुसार ऋतुराज वसन्त का आगमन हुआ । वसंत ऋतु के प्रभाव से प्रकृति सुन्दरी ने अत्यन्त मनोहर आकर्षक रूप धारण कर लिया। वनों, उपवनों की शोभा देखते ही बनती थी । नाना प्रकार के पुष्पों से सुशोभित बाग-बगीचो, लताकुजो, सरिता और सरोवरों के तटों पर जहाँ भी दृष्टि जाती, वहीं क्या युवक क्या युवतियां, क्या वालक क्या बालिकाएँ सभी आनन्द विभोर हो वसन्त की इस अनुपम सुषमा का रसपान करने मे मग्न से दिखाई देते । बौराये हुए आम्र वृक्षों की शाखाओं पर बैठी हुई कोयल अपनी कुहू कुहू की मधुर ध्वनि से मानव-मन को उन्मत्त बना रही थी