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महाभारत नायक बलभद्र और श्रीकृष्ण २४१ यह सुन देवकी ने सलज्ज भाव से पूछा-भगवन | वे वसुदेव कीन हैं ? नारद ने कहा- अपने अनुपम रूप लावण्य की छटा से कामदेव को भी लज्जित करने वाले अनेक विद्याधरियों के प्राणाधार ग्मणी हृदय वल्लभ दसवें दशाई वसुदेव का नाम भी तुमने अभी तक नहीं सुना। यह वडे आश्चर्य की बात है। उन नान तो इस समय समार का बच्चा बच्चा जानता है। आज - रडल पर दूसरा ऐसा कोई पुरुष नहीं जो रुप गुणों में उनकी उनके । इसीलिए तो उनके अनुपम सौभाग्य पर देवता भी हि है।