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________________ प्रेक्षा की पांच भूमिकाएं प्रेक्षा की सामान्य विधि का शिविर काल मे उपयोग किया जाता है। प्रस्तुत भूमिकाए विशेप प्रयोग की है जो व्यक्ति अनेक शिविर कर लेते है उन्हें तथा जो प्रशिक्षक की अर्हता प्राप्त करते है उन्हे इन भूमिकाओ का अभ्यास अवश्य करना चाहिए। प्रथम भूमिका १. प्रेक्षा-ध्यान : श्वास प्रेक्षा (क) प्रेक्षा-ध्यान : दीर्घ श्वास के साथ कायोत्सर्ग मुद्रा मे, सुखासन या पद्मासन मे स्थित होकर प्रयत्नपूर्वक श्वास और प्रश्वास को दीर्घ-लम्वा करते हुए श्वास की प्रेक्षा का अभ्यास करे। समय-दस मिनट से एक घटा तक। (ख) प्रेक्षा-ध्यान : समवृत्ति श्वास के साथ मुद्रा और आसन-ऊपरवत्। संकल्पपूर्वक श्वास के स्वर को वदलते हुए, प्रत्येक श्वास-प्रश्वास मे समान समय लगाए और श्वास की प्रेक्षा का अभ्यास करे। समय-पाच मिनट से एक घटा तक। (ग) प्रेक्षा-ध्यान : सहज श्वास के साथ मुद्रा और आसन-ऊपरवत् समय मनोनुशासनम् / १५६
SR No.010300
Book TitleManonushasanam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1998
Total Pages237
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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