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२७ कषाय- व्युत्सर्ग का कारण और प्रक्रिया व्युत्सर्ग८८
चौथा प्रकरण
१ ध्याता की परिभाषा ६२
२-३ ध्याता के गुण ६२
४. ध्यान के द्वारा ध्याता के आशय की स्थिरता ध्यान की योग्यता ६२
५- ६. ध्यान की प्रक्रिया और आसन
ध्यान-मुद्रा ६४
७ ध्यान के स्थल ६७
८. ध्यान के उपयुक्त आसन
ध्यान-स्थल ६७
६ ध्यान के प्रकार ६८
१०. सालम्बन ध्यान के प्रकार ६८ ११ पिण्डस्थ ध्यान की परिभाषा ६८ १२-१३. शारीरिक आलम्बनो का निरूपण ६८ १४. प्रेक्षा की परिभाषा ६८
१५ धारणा की परिभाषा ६८
१६ धारणा के प्रकार ६८ १७ धारणा की पूर्व - भूमिका ६८
१८ पार्थिवी धारणा की परिभाषा और प्रक्रिया ६८ १६ आग्नेयी धारणा की परिभाषा और प्रक्रिया ६८ २० मारुती ध्यान की परिभाषा और प्रक्रिया ६८ २१ वारुणी धारणा की परिभाषा और प्रक्रिया ६६ २२. पदस्थ ध्यान की परिभाषा ६६ २३ रूपस्थ ध्यान की परिभाषा ६६ २४ रूपातीत ध्यान की परिभाषा ६६ २५. स्वाध्याय से ध्यान की विलक्षणता ध्यान के प्रकार ६६
६२-१२१
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