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________________ से व्यक्ति अपनी शक्ति बढा सकता है। अभ्यास न करने से जो शक्ति होती है, वह भी घट जाती है। आजकल लडकिया पढती है, कुछ वर्ष पहले नही पढती थी। क्या ज्ञानोपलब्धि की क्षमता पुरानी लडकियो में नही थी ? किन्तु उचित सामग्री के अभाव मे वह उपयोग मे नही आ रही थी, अव आ रही है। उचित सामग्री के अभाव में विद्यमान शक्ति भी उसी तरह हो जाती है। सकल्प की साधना से जैसा चाहे, वैसा वन सकते है। मूल शक्ति व्यक्ति मे ही होती है। वह हीन भावना की परतो के नीचे दबी रहती है। उसे पुरुषार्थ से जगाना अपेक्षित है। इसलिए साधना का महत्त्व है। नदिया अपने आप मे वहती थी। पर वांध बनाने से उनका उपयोग और बढ़ गया। आज उन्ही से लाखो एकड़ भूमि की सिचाई की जाती है। हम उपयोग करना जाने तो हमारे मन में भी अनन्त शक्ति है। १५० / मनोनुशासनम्
SR No.010300
Book TitleManonushasanam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1998
Total Pages237
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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