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(५२) ४५. जन्माईन पर्नज जीवनको शारिक माहि गरीर ताशेर ४६.नतिने शारी नुनीजनप्रोटरपारके क्रियिकशेयकहाणे ४.संजन भी तिनही दुनिझ४६ प्राहार शुभ निर्मल भागे।
काहका शतो बार नहीं पुरण्यान हो दुनिराजनगायो॥२॥ ५८. नारको और सन्यूईन जीव मुजानो नपुंनक देव कहे । ५१. वन के यह वेद नहीं ५२. दामी ला जीव निवेद कहे ।। ५३. उपनिक नंगरीरो ही ग्रह उत्तन हन्तवारी को !
प्रसंस्थातववालिनको कहि नहि बोर घायु छिन् उनको२१ मेहा-तत्वारए पह सूत्र है, मारग मोन प्रकाग । रह प्रभार पूरण नगे, दूजो प्रध्या तात् ।। २२ ।।
॥ इति हितोणेगा ॥ बोहा-१. रत गरकरा बानुका, पंक धूम तम जान ।
तरा महातन सप्तनी, प्रभा नर्क कुखसान ॥१॥ घन प्रम्बू भाकाग कर, दात दिले लिपटान । सप्त गर्न पृषिदो तनी, नीचे नीचे दान ॥ २ ॥
बन्द नाराबरन २. जिन नकों में रिले कहे हैं तिनको संख्या सुनो सुजान । प्रयम के में तीन लाख दिल बजे लात पचीस बलान ।। तीजे पंह लाख पिनो बिल दश लस चौथे में परमान । ग्वत्र पांच तीन लाख है छठे पांच घट लाल नुमान । दोहा-नरक सातवें पांच है, सब चौरागे लाख ।
या विध सात चक के, संख्या बिलको नाप ॥१॥