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(13) पाठ नेद पृजा जिनगय, प्राठ योग कीजे मन नार ।। नौमो शील वाडि नब पाल, प्रायश्चित नी नेट मंभाल । नौ क्षायिक गुण मनमे गन्न नी कपारी नजि प्रमिलान्त्र ।। दशमी का पुगन्न पर जाय, शबन्चो हर चेनन राय । जनमत दश अनिय जिनगज,गविधि परिग्रहो क्या काजा ग्यारम ग्यारह भाव नमाज, मत्र प्रहमिन्द्र ग्यारह गज । ग्यारह जोग मुरलोक मझार, ग्यान्ह अंग पढे मुनिमार ।। वारम बारह विधि उपयोग, बारह प्रकृति दोष की गेग । वारह चमति लग्वि लेह वायव्रत को तन देह ।। तेरमि तेन्ह प्रावक थान, तेरह नेद मनुन पहचान । तेरह गग प्रकृति मब निन्द, तेरह भाब प्रयोग निनन्द ।। चौदम चौदह पूरब जान, चौदह वाहिन अग बखान । चौदह अन्तर परिग्रह डार, चौदह जीव समास विचार ।। मावम यम पन्दरह परमार, करम भूमि पन्द्रह अनाद । पञ्च गरीर पन्द्रह रूप, पन्द्रह प्रकृति हरे मुनि भूप ।। सोलह पाय राह घटाय, मोलह कला मम भावन भाय । पूरनमासी मोले व्यान, सोने स्वर्ग कहे भगवान ।। सब चर्चा की चर्चा एक, प्रातम पर पुद्गल पर टेक । लाख कोटि ग्रन्यन को सार, भेद ज्ञान अरु दया विचार ।। दोहा-गुण बिलास मब तिथि कही, है परमारय रूप ।
पढे गुने जो मन घरे, उपन्ने ज्ञान अनूप ।। इति ।।