________________
((EY)
भजन सिद्धचक्र
श्री सिद्धचक्र का पाठ करो दिन श्रात्र कामे प्रात फन पायो मैना गरी विका मैरिड नारी घो, कोढी- पति लखि हुलियारी थी । नहि पडे चैन दिन रैन व्यक्ति प्रकुनानी 1 फल 1 लो पति का मिठाची, तो उभयनो मुख पाऊंगी।
हि प्रजागन - स्तनबद् निष्फल जिन्दगानी । फल ० १२ । इक दिवस गई जिन मन्दिर में दर्शन करि अति हर्षी उरमें। फिर लन्ते साधु नित्य दिगम्बर ज्ञानी | फल० १३ चैत्री मुनि को कर नमस्कार, निल निन्दा करती बार बार भरि जयन कहि मुनियों, दुखद कहानी | फल० १ ४ । वो मुनि पुत्री व घरो, घी सिद्धचक का पाठ करो । नहि रहे कुष्ट को तन में नाम विज्ञानी 1 फल० ५ मुनि मात्र वचन हर्षो मैना, नहि होय मूर्ति के बना । करिके श्रद्धा श्री सिद्ध तब पर्व प्रकार्ड प्राया है, उनचथुन पाठ कराया है । सबके सन छिडका यन्त्र-वन का पानी । फन० 1 ७ १ गोदक छिडक्त वपुदिन में, नहि रहा कुष्ट किचित् तनमें । भई सात तक को काया स्वयं समानी | फन० 1 st भवभोग चोति योगेश भये श्रीपाल कर्म हति मोक्ष गये । जे नव मैना पावें शिव रजघानो 1 फल है।
की ठानी | फल