________________
(७१)
लगा घर से निगाला । बन वर्ग के उपसर्ग में सती तुमको चितारा । प्रभु भक्तियुत जानकै भय देव निधारा होदो.।
सोमा से कहा जो तू सती शील विशाला । तो कुंभ में से काठ भला नाग हो काला । उस पक्त तुम्हें ध्याय के सती हाथ जो डाला । तत्काल ही वह नाग हा फूल की माला हो.१०
जय कुष्टरोग था हुआ श्रीपाल राज को । मैनासती तब पापको पूजा इलाजको। तरकाल टी सुन्दर किया बोपालराज फो। यह गज भोग भोगि गया मुक्तिराज को हो धोन.॥११॥
जब सेठ सुदर्शन को मृपा दोष लगाया। रानी के कहे भूप ने शूली पे चढाया। उस वक्त तुम्ह सेठ ने निज ज्यान में ध्याया। शली उतार उसको सिंहासन पे बिठाया हो..१२॥
जब सेठ सुधन्नाजी को दापो में गिराया। ऊपर से दुष्ट था उसे वह मारने पाया । उस वक्त तुम्हें सेठ ने दिल अपने में पाया । काल ही जजाल से तब उसको बचाया हो.१३ इक सेठ के घर मे किया दारिद्र ने डेरा । भोजन का ठिकाना भी न पा सांझ रावेरा । उस बक्त तुम्हें सेठ ने जब प्यान मे घेरा । पर उसके मे तव कर दिया लक्ष्मी का बसेरा हो.१४ बलि बाद में सुनिराज सो जब पार न पाया। तब रात को ललवार ले शठ मारने पाया। मुनिराज ने निज ध्यान मे मन लीन लगाया । उस वक्त हो परतक्ष तहां देव बचाया हो.१५
जब राम ने हनुमंत को गढ लक पठाया। सीता की खबर लेने को खिलफोर सिधाया । मग बीच दो मुनिराज की