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अप्रिय कटुक कठोर शब्द नहि, कोई मुख से कहा करे || चनकर सब 'युग-वीर' हृदय से देशोन्नति रत रहा करे । वस्तु स्वरूप विचार खुशी से, सब दुःख सङ्कट सहा करे । ११
समाधि मरण छोटा
( चाल जोगीरासा )
गौतम स्वामी बन्दी नामी मरण समाधि भला है । मै कब पाऊँ निशदिन ध्याऊँ गाऊँ वचन कला है । देव धर्म गुरु प्रीति महा दृढ सात व्यसन नहीं जाने । त्यागि बाईस प्रभक्ष संयमी बारह व्रत नित ठाने । १ । चक्की चूली उखरी बुहारी पानी श्रस ना विरोधे । बनिज करे पर द्रव्य हरे नहीं छहो करम इमि सोधे । पूजा शास्त्र गुरुन की सेया संयम तप चहुं दानी पर उपकारी अल्प प्रहारी सामायिक विधि ज्ञानी |२| जाप जपे तिहु योग घरे दृढ तन की ममता टारे । अन्त समय वैराग्य सम्हारे ध्यान समाधि विचारे । प्राग लगे अरु नाव जव डूबे धर्म विधन जब भावे । चार प्रकार बाहार त्यागि के मन्त्र सु मन मे ध्यावे |३| रोग प्रसाध्य जरा बहु देखे कारण और निहारे । बात बड़ी है जो बनि प्राषे भार भवन को डारे ।
जो न बने तो घर में रह करि सब सों होय निराला । मात पिता सुत त्रिय को सोंपे निज परिग्रह अहिकाला |४|