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... ...rrrrrr यह हुक्म कियो जयपुर नरेश, सालाना मेला हो हमेश । अब जुडन लगे बहु नर औ नार, तिथि चैत सुदी पूनों मंझार ।। मीना गूजर आवें विचित्र, सब वर्ण जुडे करि मन पवित्र । बहु निरत करत गावें सिहाय, कोई कोइ दीपक रह्या चढाय ।। केई जय २ शब्द करे गम्भीर, जय जय जय हे श्री महावीर । जैनी जन पूजा रचत प्रान, केई छत्र चमर के करत दान ।। जिसकी जो मन इच्छा करत, मन वाछित फल पावे तुरन्त । जो करे वन्दना एक बार, सुख पुत्र सपदा हो अपार ।। जो तव चरणो मे रखें प्रीत, ताको जग मे को सके जीत । है शुद्ध यहां का पवन नीर, जहा अति विचित्र सरिता गंभीर ।। पूरनमल पूजा रची सार, हो भूल लेउ सज्जन सुधार । मेरा है शमशाबाद ग्राम, त्रिकाल.करूं प्रभु को प्रणाम ।।
छन्द त्रोटक ।। श्री वर्धमान तुम गुणनिधान, उपमा न बनी तुम चरणन की। है चाह यही नित बनी रहे, अभिलाष तुम्हारे दरशन की । दोहा-प्रष्ट कर्म के दहन को, पूजा रची विशाल ।
' पढ़े सुने जो भाव सो, छूटे जग जजाल ।। ॐ ह्री श्रीचांदनपुर महावीर जिनेन्द्राय पूर्णाध्यं । ' .
संवत् जिन चौबीस सौ, है बासठ की साल । एकादश कातिक बदी, पूजा रची सम्हाल ।।
इत्याशीर्वाद ।।