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५४ : जैनसाहित्यका इतिहारा
जो उसे पूर्वोका हो मश बतलाता है ।
प्रो० हीरालालजीने इसके सम्बन्धमं लिया था 'यो स्पष्टत. कमायपाहु के साथ गत्कारी प्रस्तुत गगरत पट्गण्डगग से प्रयोजन होता है और यह ठीक भी है क्योकि पूर्वोकी रचनाये उक्त नोवीरा अनुयोगद्वारीका नाम महाकर्मप्रकृतिपाहुर है महाकर्मप्रकृति और गतागं ज्ञाएँ एक ही अर्थकी द्योतक है, अतः गिद्ध होता है कि इस नगरत उपागम का नाम गलर्मप्राभृत है । ओर चूँकि इसका भाग धवलाटी कामं ग्रपित है, अत गगरत धवलाको भी गत्तर्गप्राभृत कहना अनुचित नहीं । उसी प्रकार महाबन्ध या निबन्धनादि अठारह अधिकार भी इसके गण्ड होनेगे गलगं कहे जा सरते हैं ।' ( पट्ग० पु० १, प्रस्ता० पृ० ६९-७० | |
किन्तु वेदनाण्डके "क्षेत्रविनानमे स्यागिलका कथन करते हुए गुनकार भूतव लिने क्षेत्रको गणेना उत्कृष्ट ज्ञानावरणीय वेदना हिरा होती है, उग प्रश्नका गंगाधान करते हुए लिगा है - 'जो मग एक हजार योजनही अवगाहनावाला स्वयभुरगण समुद्र के बाप तटपर स्थित है, और वंदनागमुदुगातको प्राप्त हुआ है, तनुनातवलय स्पष्ट है, फिर भी जो तीन विगह लेकर मारणान्तिकगगुद्घातसे समुद्घातको प्राप्त हुआ है और अनन्तर गमयमे गातवी पृथिवीके नातियोमें उत्पन्न होगा, उनके ज्ञानावरणीयवेदना क्षेत्रकी अपेक्षा उत्कृष्ट होती है ।'
लाग पर यह नका की गई है कि उग महामत्रयको सातवी पृथिवीको छोडकर नीचे सात राजु गान जाकर निगोदिया जीवोमे क्यो उत्पन नही कराया ? इराका समाधान करनेके पश्चात् धवलाकारने लिया है कि - गंतकम्मपाहुडमे उसे निगोदमे उत्पन्न कराया है क्योकि नारकियोंमें उत्पन्न होनेवाले महामत्स्यके समान सूक्ष्म निगोदजीवोमें उत्पन्न होनेवाला महामत्स्य भी विवक्षित शरीरकी अपेक्षा तिगुने वाहुल्यसे मारणान्तिक समुद्घातको प्राप्त होता है । परन्तु यह योग्य नही है, क्योकि अत्यधिक असाताका अनुभवकर्ता सातवी पृथ्वीमे उत्पन्न होने वाले महामत्स्यकी वेदना भर कपायकी अपेक्षा सूक्ष्मनिगोदजीवोमे उत्पन्न होनेवाले महामत्स्यकी वेदना सदृश नही हो सकती ।'
इस उल्लेससे स्पष्ट है कि पट्सण्डागमसे सतकम्मपाहुड भिन्न है क्योकि दोनोके कथनोमै अन्तर है ।
इसी तरह सत्प्ररूपणाकी टीका धवलामे जहाँ संतकम्मपाहुड और कसाय
१ से काले अधो सत्तमा पुढवी
खेत्तदो उवकस्सा ॥ १२ ॥ जुज्जदे । पट्ख०, पु० ११, पृ० २१-२२ |
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२. पट्ख०, पु० १, पृ० २१७ ।
णेरइम्स उप्पज्जिहिदि त्ति तस्स णाणावरणीयवेदणा सतकम्मपाहुडे पुण णिगोदेसु उप्पादो ण च एद
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