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________________ ३५६ २९ पंचसग्रह -३७३ जयधवला-नाम - २५२ पञ्चसंग्रहका रचनाकाल ३४७ , शैली महत्त्व २५२ चन्द्रर्षिकृत पञ्चसग्रह ३५१ , रचनास्थान-काल २५४ ग्रंथकारके द्वारा निर्दिष्ट अथ ३५४ जयधवलागत विषयवस्तु २५५ पंचसंग्रहकारका अन्य रचयिता वीरसेन-जिनसेन २६० कार्मिको तथा सैद्धातिकोसे अन्य व्याख्यानाचार्योंका उल्लेख २६२ मतभेद ३५४ छक्खण्डागमकी अन्य टीकाएँ २६३ कर्ता कुन्दकुन्दकृत परिकर्म २६४ समय । ३६० शामकुण्डकृत पद्धति २७४ सित्तरी चूर्णि ३६८ तुम्वुलुराचार्यकृत चूडामणि २७४ रचना काल समन्तभद्रकृत संस्कृतटीका २७८ उत्तरकालीन कर्मसाहित्य सत्कर्मपंजिका २८४ उत्तरकालीन कर्मसाहित्य ३७१ , रचनाकाल लक्ष्मणसुत डड्ढाकृत अन्य कर्मसाहित्य ३७२ कर्मप्रकृति २९३ रचनाकाल वृहत्कर्म प्रकृति २९४ विषय परिचय ३७५ कर्मप्रकृति विषयपरिचय २९५ सं०प० स०के रचयिता , कर्ता ३०२ अमितगति ३८० चूणिसूत्र और कर्मप्रकृतिचूणि ३०६ गोम्मटसार , समय - ३१० नेमिचन्द्रके गुरु ३८२ शतक कर्मग्रन्थ ३११ नाम , विषयपरिचय ३११ नामका कारण ३८९ शतकचूर्णि ३१५ समय सित्तरी ३१८ विषय वस्तु ३९७ , रचयिता-रचनाकाल ३२० कर्मकाड .. विषयपरिचय ३२० बन्धोदय सत्त्वाधिकार कर्मप्रकृति और सप्ततिका मतभेद ३२१ सत्त्व स्थान भंग ४०७ कर्मस्तव ३२२ त्रिचूलिका अधिकार , रचनाकाल ३२४ वन्धोदय सत्त्व युक्त स्थानं दि० प्राकृत पञ्चसंग्रह ३२५ प्रत्ययाधिकार जीवसमास और सत्प्ररूपणा ३२८ भावचूलिका । सप्ततिका और पञ्चसंग्रह ३४० त्रिकरणचूलिका ४११ ३८१ ३८९ ३९९ ४०६ ४०८ ४०९ ४११ ।
SR No.010294
Book TitleJain Sahitya ka Itihas 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKailashchandra Shastri
PublisherGaneshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
Publication Year
Total Pages509
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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