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सापागम ८५ पगिता • from frपतिमा गाँजाग गम्मपा प्राप्त करता
ही प्राप्त मा... frint द्वागnिो निन भाग ari सोr frieोग गधा निगः पागमे गितने नमोरनीय Fi पण पारनेवाले जोगा और मां पारिता प्राप्त होनेवाल जोगी गानीयमग मामना और प्रणाली
ही प्रती गमापान पनि नो भगितागती रनमा गृाग्न
१ इनमेंग 'मिनी' यामा: गपी विभागासामान पग प्रतिगमगीनन नाममा पानी गिरा
१ प्रतिमा कासंग... प्रानियोगः गगनंग अर्धा पनि प्रगतिनगीनंग ।
प्रतिगमतीसंग :-मतिमीनंग दी- उगप्रतिगमती गा
गृातिमा पाठ: भानामतीनाणीय, वेदनीय, मोहनीर, आग, नाम गौर और अन्तगग ।
शानमा मावरण फर्म र भानापरणत: । ना मारण करने वाले 7 नायग्ण है। जी. गुगम अनुगमन गारण पगरयो नागगर्ग है जिससे ग मीर गारित हो उगा मोहनीगर्म पहा है। जाम जोगको नाममा अगा मगर ता. रो गगता है उभे आयुगर्म गहते है । गर्गर आदिको मनाम मारणभून नर्मको नागकर्म रहते हैं । उच्च और नीन पुलमें उत्पन्न नगन बाले पर्गयो गोमाम रते है । दान लाभ भौग उपभोग आदिमें विघ्न मान्ने गाल गर्गको अन्तगया.मं करते है । जग तरह मूल गर्म पाठ है ।
जन गिद्धान्तम कर्मकदार--प्रत्यकर्म और गानार्म । जीवो गगवैषम्प भावाको भावक्रम पाहते है। और जीवके रागादि परिणामांप निमित्त मे जो पुद्गलम्मान्ध कर्ममा परिणत होते हैं उन्हें द्रव्यकर्म पाहते है । इष्ट और मनिप्ट विषयोको पाकर जीव जैम भाव होते है तदनुसार ही उनको गर्मवन्ध होता है । अत योग और कपाया निमित्त जीवके माथ गम्बद हुए जो पुद्गल
१ पाहि पानी पगसा यदि ति । ५८ तम्य विधामा ।।। दागि पगटिसगु
कित्तण कम्मामो ॥शा पटन०, पु०६, पृ०४७। • 'णाणावरणीय ॥५दमणावरणीय ॥६॥ चंदणीय ॥७॥ माहणार्या आरा
णाम 20 गोद ॥११॥ अंतगय नेटि ॥१२॥ वाही, पु०६, ५०६-१३ ।