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________________ नाट्यकार हस्तिमल्ल दिगम्बर-जैन-साहित्यमें हस्तिमल्लका एक विशेष स्थान है । क्योंकि जहाँतक हम जानते हैं रूपक या नाटक उनके सिवाय और किसी दि० जैनकविके नहीं मिले हैं। श्रव्य काव्य तो बहुत लिखे गये परन्तु दृश्य काव्योंकी ओर किसीका ध्यान ही नहीं गया । हस्तिमलने साहित्यके इस अंगको खूब पुष्ट किया। उनके लिखे हुए अनेक सुन्दर नाटक उपलब्ध हैं। वंश-परिचय हस्तिमल्लके पिताका नाम गोविन्द भट्ट था। वे वत्सगोत्री ब्राह्मण थे और दाक्षिणात्य थे । स्वामी समन्तभद्रके देवागम-स्तोत्रको सुनकर उन्होंने मिथ्यात्व छोड़ दिया था और सम्यग्दृष्टि हो गये थे। उन्हें स्वर्णयक्षी नामक देवीके प्रसादसे छह पुत्र उत्पन्न हुए -१ श्रीकुमार कवि, २ सत्यवाक्य, ३ देवरवल्लभ, ४ उदयभूषण, ५ हस्तिमल्ल और ६ वर्धमान । अर्थात् वे अपने पिताके पाँचवें पुत्र थे । ये छहोंके छहों पुत्र कवीश्वर थे । इस तरह गोविन्द भट्टका कुटुम्ब अतिशय सुशिक्षित और गुणी था । ___ सरस्वतीस्वयंवरवल्लभ, महाकवितलज और सूक्ति-रत्नाकर उनके बिरुद थे। उनके बड़े भाई सत्यवाक्यने उन्हें ' कवितासाम्राज्यलक्ष्मीपति' कहकर उनकी १-गोविन्दभट्ट इत्यासीद्विद्वान्मिथ्यात्ववर्जितः, देवागमनसूत्रस्य श्रुत्या सद्दर्शनान्वितः । अनेकान्त्यमतं तत्त्वं बहुमेने विदांवरः, नन्दनातस्य संजाता वर्धिताखिलकोविदाः ।। दाक्षिणात्या जयन्तत्र स्वर्णयक्षीप्रसादतः, श्रीकुमारकविः सत्यवाक्यो देवरवल्लभः । उद्यद्भषणनामा च हस्तिमल्लाभिधानकाः, वर्धमानकविश्चेति षडभूवन्कवीश्वराः ।। -वि० कौ० २ अस्ति किल सरस्वतीस्वयंवरवल्लमेन भट्टारगोविन्दसनुना हस्तिमलनाम्ना महाकवितल्लजेन विरचितं विक्रान्तकौरवं नाम रूपकमिति । -वि. कौ०
SR No.010293
Book TitleJain Sahitya aur Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherHindi Granthratna Karyalaya
Publication Year1942
Total Pages650
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size62 MB
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