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________________ C जनसाहित्य और इतिहास इससे मालूम होता है कि वे पूर्वोक्त कवियोंके काव्योंसे अवश्य परिचित थे । प्रथम आश्वासके ९० वें पृष्ठमें उन्होंने इन्द्र, चन्द्र, जैनेन्द्र, आपिशल और पाणिनिके व्याकरणोंका जिक्र किया है। पूज्यपाद ( जैनेन्द्रके कर्ता) और पाणिनिका उल्लेख और भी एक-दो जगह हुआ है । गुरु, शुक्र, विशालाक्ष, परीक्षित, पराशर, भीम, भीष्म, भारद्वाज आदि नीतिशास्त्रप्रणेताओंका भी कई जगह स्मरण किया गया है। कौटिलीय अर्थशास्त्रसे तो वे अच्छी तरह परिचित हैं ही। हमारे एक पण्डित मित्रके कथनानुसार नीतिवाक्यामृतमें सौ सवा सौके लगभग ऐसे शब्द हैं जिनका अर्थ वर्तमान कोशोंमें नहीं मिलता। अर्थशास्त्रका अध्येता ही उन्हें समझ सकता है । अश्वविद्या, गजविद्या, रत्नपरीक्षा, कामशास्त्र, वैद्यक आदि विद्याओंके आचार्योंका भी उन्होंने कई प्रसंगोंमें जिकर किया है । प्रजापतिप्रोक्त चित्रकर्म, वराहमिहिरकृत प्रतिष्ठीकाण्ड, आदित्यमैत, निमित्ताध्याय, महाभारत, रत्नपरीक्षा, पतंजलिका योगशास्त्र और वररुचि, व्याँस, हरप्रबोध, कुमारिलकी उक्तियोंके उद्धरण दिये हैं। सैद्धान्ति वैशेषिक, तार्किक वैशेषिक, पाशुपत, कुलाचार्य, सांख्य, दशबल-शासन, जैमिनीय, बार्हस्पत्य, वेदान्तवादि, कणाद १- पूज्यपाद इव शब्दैतिह्येषु ... पणिपुत्र इव पदप्रयोगेषु " यश० आ० २, पृ० २३६ २, ३, ४, ५, ६-" रोमपाद इव गजविद्यासु, रैवत इव हयनयेपु, शुकनाश इव रत्नपरीक्षासु, दत्तक इव कन्तुसिद्धान्तेषु ”—आ० ४, पृ. २३६-२३७ । — दत्तक ' कामशास्त्रके प्राचीन आचार्य हैं । वात्स्यायनने इनका उल्लेख किया है। 'चारायण' भी कामशास्त्रके आचार्य हैं । इनका मत यशस्तिलकके तीसरे आश्वासके ५०९ पृष्ठमें चरकके साथ प्रकट किया गया है। ७, ८, , १०, ११–उक्त पाँचों ग्रन्थोंके उद्धरण यश० के चौथे आश्वासके १० ११२-१३ और ११९ में उद्धृत हैं । महाभारतका नाम नहीं है, परन्तु (पुराणं मानवी धर्मः सांगो वेदश्चिकित्सितम् ' आदि श्लोक महाभारतसे ही उद्धृत किया गया है। १२--तदुक्तं रत्नपरीक्षायाम्-' न केवलं ' आदि; आश्वास ५, पृ० २५६ १३ - यशस्तिलक आ० ६, पृ० २७६-७७ । १४--१५--आ० ४, पृ० ९९ । १६-१७-आ० ५, पृ० २५१-५४ १८-इन सब दर्शनोंका विचार पाँचवें आश्वासके पृ० २६९ से २७७ तक किया गया है।
SR No.010293
Book TitleJain Sahitya aur Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherHindi Granthratna Karyalaya
Publication Year1942
Total Pages650
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size62 MB
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