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जैन रत्नाकर
श्री वीर प्रार्थना (देशी-उदियापुर मोच्छव दीक्षा नो) . ॐ जय जय त्रिभुवन अभिनन्दन २, त्रिशला नन्दन तीर्थपते । अयि त्रि० । अयि कलुष निकन्दन विश्वपते । ॐ० । ए आँकड़ी । तिमिराच्छादित भुवन में रे, दिव्य दिवाकर उदित भयो । अयि दिव्य० । सरण सरण निज किरण पसारे, सारे जग जागरण थयो। अयि सा० । निद्रा घर्णित जन बोध लह्यो ॥ ॐ ॥ १॥ अतुल अहिंसा धर्म नो रे, मर्म दिखायो महितल में । अयि० । अक्षय अनुपम अविचल अविकल, सौख्य लहै जिम भवि पल में । अयि सौ० । न लहै संकट जग हलफल में ॥२॥ शिवपुर पावापुर थकी रे, पावन कीन्हो अघ दलिया । अयिः । छिछिछिम छिछिछिम छिम छिम बाजै, धौ धौं धप मप माद्दलिया। अयि० । रयणावलिया दीपावलिया। करै मोच्छव सुर नर सहु मिलिया ॥ ३ ॥ यद्यपि प्रभु निर्वाण में रे, तो पिण तेरापंथ चले। अयि० । भिक्षुराज नी विरचित वनिका, नन्दन वन उपमान झिलै । अयि० । चिहुँ तीरथ प्रवल प्रसून खिलै । गुण परिमल अमल