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जैन रत्नाकर संघट्टिया, परियाविया, किलामिया, उद्दविया, ठाणाओ ठाणं संकामिया, जीवियाओ ववरोविया तस्स मिच्छामि दुक्कडं । __ मैं इच्छा करता हूँ | निवृत्त होना, (बचना) । मार्ग पर चलने मादिसे होनेवाली। विराधना से। जाने आने में। किसी प्राणी को दबाकर . वनसतिको दवाकर। औस-किडियोंके बिलपांच वर्ण की काई - पानी मिट्टी-मकड़ी के जाला आक्रमण हुआ, जो मेरे से जीवों की विराधना हुई हो, एक इन्द्रियवाले, दो इन्द्रियवाले, तीन इन्द्रियवाले, चार इन्द्रियवाले, पांच इन्द्रियवाले, सन्मुख आते चोट पहुंचाई हो, धूल आदि से ढक्या हो, भूमि पर मसले हों इकठे किये हों, छुए हों, मृत तुल्य क्रिया हो, भयभीत किया हो, एक स्थान से दूसरे स्थान में अयत्ना से रखें हों। जीवित से रहित किया हो। उसका निष्फल हो। मेरे पाप ।
तस्सउत्तरी तस्सउत्तरीकरणेणं, पायच्छित्तकरणेणं, चिसोहिकरणेणं, चिसल्लीकरणेणं, पावाणं कम्माणं निग्घायणट्ठाए, ठामि काउस्सगं । अन्नत्थ ऊससिएणं, निससिएणं, खासिएणं, छीएणं, जंभाईएणं, उड्डइएणं, वायनिसग्गेणं, भमलिए, पित्तमुच्छाए, सहुमेहिं अङ्गसंचालेहि, सुहुमेहिं