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जैन रत्नाकर
५२ विधवा स्त्री आदि को अपशकुन मानकर उनका दिल तो।
नहीं दुखाया? .५३ विवाह, भोज आदि में परिग्रह की अतिभावना तो नहीं
रक्खी ? नारी समाज (विशेष) १ आभरण आदि बनाने के लिये पति को वाध्य तो नहीं किया ? २ सास, ननद, जेठाणी देवरानी आदि पारिवारिक स्वजनों के __ साथ ईर्ष्या द्वेष व कलह तो नहीं किया ? ३ सौत, जेठाणी, ननद आदि दूसरों के बच्चों के साथ दुर्व्यववहार
तो नहीं किया ? ४ किसी विधवा बहिन का अपशब्दों से अपमान व तिरस्कार तो
नहीं किया ? ५ बनाव शृङ्गार व विषयवासनओं में शक्ति व समय का अप
व्यय तो नहीं किया ? ६ शोरगुल झगड़ा एवं सावध बातें करके धर्म-स्थान एवं सार्व
जनिक स्थानों की शान्ति, नियम एवं मर्यादा को भङ्ग तो नहीं किया ? ७ दिन भर में कौन-से अनुचित, अप्रिय एवं अवगुण पैदा करने वाले कार्य किये और कौन-सी सुशिक्षा ग्रहण की ?
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