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________________ anAaam २७४ रामायण ~~ wwwmorm संग सिया लेरे, हां संग सिया लेरे ॥११॥ दादुर मोर पपईया बोला, श्री राम कुंवर का सादा चोला। देव पवन देरे, हाँ देव पवन देरे ॥२॥ . केवट को अति खुशियाँ हो रही राम कृपा सब कष्ट खो रही। , उदय भाग्य तेरे हॉ उदय भग्य तेरे ॥३॥ - दोहा तीनों प्राणी हो गये बेड़ी में अस्वार। ' इधर खड़ी जनता सभी रोवें जारो जार ।। खुशियो में निषाद सब, गाते जावे गीत । पुल का रास्ता छोड़ कर, हम से पाली प्रीत । गाना नं० ३६ (सब मल्लाहो का) दीना नाथ दयाल आज दर्श हमने पाये। देख देख नैन सब के, प्रफुल्लित थाये टेर।। सहज सहज चालत नाव आपके डी गीत गाव । मन मे नाविकों के चाव, प्रभु घर आये ॥१॥ राम नाम से आराम, लखन करे सिद्ध काम । - जपत रहे आठो याम, सीता सुख दाये ।।२।। , तजा सत्य खातिर राज, बन को आप चले महाराज । हमरे भी संवारन काज, प्रभु इधर आये ॥३॥ नित्य धर्म शुल्क ध्यान, उदय होये भाग्य आन।" 'रंक घर आये महान, दर्शन दिखलाये ॥४॥ दोहा 1 .नदी पार जब हो गये, रामचन्द्र भगवान् । 1 जनक सुता श्री राम से, बोली मधुर जबान ।
SR No.010290
Book TitleJain Ramayana Purvarddha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShuklchand Maharaj
PublisherBhimsen Shah
Publication Year
Total Pages449
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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