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________________ बनवास कारण रामचन्द्र और कौशल्या का प्रश्नोत्तर रूप गाना २० (तर्ज - लावणी ) राम - माता मुझको जाना है अमर जरूरी | क्या कहूँ हाल यह बनी आन मजबूरी ॥ मेरी मात सोच कुछ बहुत विचारा है । कर्तव्य पालन के लिये, मात वनवास हमारा है || ढेर || यि माता धरो मन, धीर नहीं घबराना । । बिन धर्म श्री जिन, नाशवान जग माना ॥ भोग रहा मोह के, वश सभी जमाना । धर ध्यान मुनि सुव्रत, स्वामी चित्त लाना । मेरी मात जन्म तेरे उर धारा है । दुख कर्तव्य पालन के लिये मात बनवास हमारा है ॥ १ ॥ कौशल्या - श्रय पुत्र ! फेर तैने वही शब्द सुनाया । गया निकल कलेजा जी जामा थर्राया || आंखो के तारे बेटा गुण सुख धाम । लगे कलेजे बाण पुत्र मत ले जाने का नाम | टेर हे पुत्र ! बता कैसे दिल मेरा डटेगा । २४१ कर याद बाद तेरे मम, हृदय फटेगा | वर्षो के समान एक क्षण, पल मेरा कटेगा । कैसे चौदह वर्षो का, काल घटेगा ॥ पुत्र बता कैसे बचेगे प्राण । , लगे कलेजे चारण पुत्र मत ले जाने का नाम ॥ २ ॥ राम-य माता । चास नहीं चाहता मन बस्ती का | गया निकल बाहर नहीं, छिपे दांत हस्ती का |
SR No.010290
Book TitleJain Ramayana Purvarddha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShuklchand Maharaj
PublisherBhimsen Shah
Publication Year
Total Pages449
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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