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________________ हनुम त्ति . . . . . Amrammar HanumnnamrunaahsnoAnnnnn.. दोहा समझाया सब तरह से, दे उपदेश विशाल । एक नहीं हृदय धरी, पत्थर बूद मिशाल ।। रावण का एक दूत तब, आ पहुँचा तत्काल । जो आज्ञा महाराज की, सभी बताया हाल ॥ दश कन्धर की यह आज्ञा है, दल बल लेकर जल्दी आओ। वरुण भूप नहीं माने पान, तुम जल्द सहायक बन जाबो । संग्राम महा नित्य होता है, और वरुण अति गर्वाया है। सुग्रीवादिक सब आ पहुंचे, अव आपको शीघ्र बुलाया है । दोहा वरुण भूप के पुत्रो मे, शक्ति ला मदकार । खर दूषण को जिन्होने, डाला कारागार ।। है शक्ति मे गम्भीर वरुण की, फौज का पार ना आता है। नही हलवे का खैर, बैरना दिल से जरा भुलाता है। सैना है कूच को तैयार सिर्फ एक देर तुम्हारे जाने की। अब सबने ही दिल ठानी है, शत्रु को स्वाद चखाने की॥ दोहा जंगी रस्त्र पहन कर, हुए भूप तैयार । झट रण तूर बजा दिया, हाथ लई तलवार ।। तैयार पिता को देखकर, आये पवनकुमार । पिता लड़े संग्राम मे, सुत को है धिक्कार ॥ अज्ञानी वह पुत्र रहे घर, पिता जाय संग्राम लड़े। अविनयी वह शिष्य, गुरु की आज्ञा के जो विरुद्ध पढ़े॥
SR No.010290
Book TitleJain Ramayana Purvarddha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShuklchand Maharaj
PublisherBhimsen Shah
Publication Year
Total Pages449
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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