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जैन रामायण प्रथम सर्ग।
लिए उसका नाम “चंद्रनखा' रक्खा गया। यह प्राय: 'शूर्पणखा के नामसे प्रसिद्ध है । कुछ कालके बाद चंद्रस्वप्नसे सूचित उसने ' बिभीषण ' नामके पुत्रको जन्म दिया । उन तीनोंका शरीरमान सोलह धनुषसे कुछ अधिक था। तीनों सहोदर प्रतिदिन बालकवयके योग्य क्रीडाएँ करते हुए सुखपूर्वक अपना बाल्यकाल बिताने लगे।