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________________ रामका सीतेन्द्रको लक्ष्मण और रावणकी गति बताना। देशनाके अन्तमें सीतेन्द्रने अपने अपराधकी क्षमा माँगकर, राम और लक्ष्मणकी गति पूछी । केवली राम बोले:" इस समय शंबूक सहित रावण और लक्ष्मण चौथे नरकमें हैं। क्योंकि "........ गतयः, कर्भाधीना हि देहिनाम् ।" (प्राणियों की गति कर्माधीन है ।) नरकायु पूर्णकर लक्ष्मण और रावण, पूर्व विदेहके आभूषण रूप विजयावती नगरीमें सुनंदके घर रोहिणीकी कूखसे पुत्ररूपमें पैदा होंगे । जिनदास और सुदर्शन उनका नाम होगा। वहाँ वे निरन्तर जिनधर्मका पालन करेंगे। वहाँसे मरकर, वे सौधर्म देवलोकमें देवता होंगे । वहाँसे चक्कर पुन: 'विजयपुरमें ही श्रावक होंगे । वहाँसे मरकर, हरिवर्ष क्षेत्रमें दोनों पुरुष होंगे । वहाँसे मरकर देवलोकमें जायेंगे। बहाँसे चक्कर फिरसे विजया पुरीमें कुमारवति राजाके, लक्ष्मी रानीकी कूखसे जन्म लेकर, जयकान्त और जयप्रम नामा पुत्र होंगे । वहाँ जिन धर्मोक्त संयमपालकर लांतक नामा छठे स्वर्गमें देवता होंगे उस समय तू अच्युत देवलोकमेंसे चवकर, इस भरत क्षेत्रमें, सर्वरत्नमति नामा चक्र'वर्ती होगा। वे दोनों लांतक देवलोकमेंसे चवकर इन्द्रायुध और मेघरथ नामा तेरे पुत्र होंगे । वहाँसे. तू दीक्षा लेकर बैजयंत नामा दूसरे अनुत्तर विमानमें जायगा । रावणका
SR No.010289
Book TitleJain Ramayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranthbhandar Mumbai
Publication Year
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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