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जैन रामायण नवाँ सर्ग ।
चलो राम उन्हें मार डालें इसके पहिले ही हमें वहाँ पहुँच जाना चाहिए। "
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तत्पश्चात सीताको अपने विमानमें बिठाकर, भामंडल लवण और अंकुशके पास उनकी छावनी में आये । लवणांकुशने सीताको नमस्कार किया। सीताने उनको कहा:इनका नाम भामंडल है । ये तुम्हारे मामा हैं । " दोनों' ने भाममंडलको भी प्रणाम किया । भामंडलने उनका मस्तक चूमा। उसका शरीर हर्षसे रोमांचित हो आया । उसने उन्हें अपनी गोद में बिठा, गद्गद कंठ हो, कहा:मेरी बहिन पहिले वीरपत्नी थी । सद्भाग्यसे अब वह वीर - माता भी हो गई है । तुम्हारे समान वीर पुत्रोंसे उसकी निर्मलता चंद्र से भी विशेष हो गई है । हे पुत्रो ! यद्यपि तुम वीरपुत्र हो; स्वयं वीर हो, तथापि पिता और काकाके साथ युद्ध न करना । क्योंकि रावणके समान योद्धा भी' जिसमें अतुल भुजबल के सिवा विद्याबलभी था - जिनके सामने युद्ध में न ठहर सका था तब उन्हीं महाबाहु वीरोंके साथ केवल अपनी भुजाओंके बलसे युद्ध करनेका तुम कैसे साहस कर रहे हो ? "
लवणांकुशने उत्तर दिया: " हे मामा ! आप स्नेहके aaमें होकर ऐसी भीरुता न दिखाइए । माताने भी हमको ऐसे ही कायरता के वचन कहकर डराया था । हम जानते हैं कि, रामलक्ष्मणके सामने युद्ध करनेका किसी में सामर्थ्य