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________________ (२५) س .... س س س ३३९ س س . . . . .... ३४४ س سع سع سم रावणके पुत्रों और सुग्रीवका युद्ध ३३१ रावणका युद्ध में प्रवृत्त होना ३३५ रामका शत्रु योद्धाओंको बाँधना ३३७. लक्ष्मणका मूच्छित होना रामका शोक लक्ष्मणके लिए सीताका विलाप ३४३ रावणका अपने बन्धुओंके लिए विलाप प्रतिचंद्र विद्याधरका रामके पास आना ३४५ विशल्याके स्नानजलसे लक्ष्मणका सचेत होना ३४७ लक्ष्मणके जी उठनेसे पीडित रावणकी मंत्रणा .... ३५० शान्तिनाथ प्रभुकी स्तुति .... ३५३ रावणका बहुरूपिणी विद्या साधना ... ३५५ रावणका वध आठवाँ सर्ग। -wo(सीताको रामचंद्रका त्यागना ।) कुंभकर्ण और इन्द्रजीतका बंधनमुक्त होना इन्द्रजीत और मेघवाहनका पूर्वभव .... .... ३६३ सीता और रामका मिलन. ३६५ रामका विभीषणको राज्य देना ३६६ रामलक्ष्मणका अयोध्या-आगमन ३६८ भरतके हृदयमें दीक्षाकी प्रबल इच्छा होना ३७२ .... ३६७.
SR No.010289
Book TitleJain Ramayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranthbhandar Mumbai
Publication Year
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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