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(२२) भामंडलका सीतापर आसक्त होना .... .... १७६ सीताके वरके लिए चंद्रगतिका जनकसे प्रतिज्ञा कराना १८० सीताका स्वयंवर और राम, लक्ष्मण और भरतका ब्याह १८२ दशरथके हृदयमें मोक्ष-प्राप्तिकी इच्छा होना भामंडलका जनकपुत्र होना प्रकट होना दशरथ राजाके पूर्वभव
.... १८९ दशरथ राजाको दीक्षा लेनेकी इच्छा होना राम, लक्ष्मण और सीताका वनवास ..... १९५ दशरथकी आज्ञासे रामको लानेके लिए सामंतोंका जाना २०१ रामको बुलानेके लिए भरत और कैकेयीका जाना २०२ वनमें रामका भरतको राज्याभिषेक करना .... २०४
पाँचवाँ सर्ग।
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(सीताहरण ।) वज्रकरणका उद्धार लक्ष्मण और कल्याणमालाका मिलन .... वालिखिल्यका छुटकारा कपिल ब्राह्मणके घर रामचंद्रका जाना .... गोकर्ण यक्षका रामपुरी बनाना रामका कपिलको दान देना लक्ष्मण और वनमालाका मिलन
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