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(२०)
रावणका पश्चात्ताप और वाली मुनिका मोक्ष गमन .... साहसगतिका शेमुषी विद्या साधने जाना रावणका दिग्विजयके लिए प्रयाण करना रेवा नदीके पूरसे रावणकी पूजाका प्लावित होना .... रावणका सहस्रांशुको हराना; सहस्रांशका दीक्षा ग्रहण करना ५८ यज्ञोंमें पशु होमनेकी प्रवृत्ति कैसे हुई ?.... महाकाल असुरकी उत्पत्ति .... पर्वतका हिंसात्मक यज्ञकी प्रवृत्ति करना नारदका वृत्तान्त सुमित्र और प्रभवका वृत्तान्त नल, कूबरका पकड़ा जाना.... रावण और इन्द्रका युद्ध .... रावणका अपनी मृत्युके कारण जानना....
तीसरा सर्ग।
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( हनुमानकी उत्पत्ति और वरुणका साधन । ) अंजनासुंदरीका जन्म अंजनाका पवनंजयके साथ ब्याहका निश्चय अंजनाके प्रति पवनंजयकी अप्रीति
१०४ अंजनासुंदरीका ब्याह रावणकी सहायताके लिए पवनंजयका प्रयाण पवनंजयका अंजनाके महलमें आना
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१०९.