________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
૩૯૪
॥ श्री सोमन्धर जिन स्तुति ॥ श्री सीमन्धर देव सुहंकर, मुनि भन पंकज हंसाजी। कुंथु अरजिन अंतर जन्म्या , तिहुअण यश प्रशंसाजी, सुव्रत नमि अंतर वरदीक्षा शिक्षा जगत निरासेजी, उदय पेढाल जिनान्तरमा प्रभु, जाशे शिव बहु पासेजी ॥ १ ॥ बत्रीश चउसठि चउसठि मलिया, इगसय सठि किठाजी ॥ चउ अड अड मली, मध्यम काले, वीस जिनेश्वर दिठानी। दो चउ चार जघन्य दश जंबु, धायइ पुरुखवर मझारे जो । पूजो पणपो आधारांगे प्रवचन सार उद्धारे जी ॥२॥ सीमन्धर वर केवल पामी, जिवपद अवण निमित्तेजी, अर्थनी देशना वस्तु निवेशन, देलां मुणतः विनीते जी ॥ द्वादश अंग पूर्वयुत रचिया, गणधर लब्धि विकसीयाजी। अपजवसिय जिनागम: अक्षर पदना रसीयाजो ॥ ३ ॥ आणारंगी समकीत संगो, विविध भंग व्रतधारी जो । चउन्निह संघ तिर्थ रखवाली सहु उपद्रव हरनारीजी ॥ पंचांगुलि सूरि शासनदेवी देती तस जस ऋद्धिजो, श्री शुभ वीर कहे शिव साधन कार्य सकलमा सिद्धिजी॥ ४ ॥
॥श्री बीज तिथिनी स्तुति लिख्यते ॥
पूर्व दिशि उत्तर दिशि वर्मा, इशान खुणो अभिरामजी. तिहां पुखलवइ विजया पुंडरिगिणि, नगरी उराम ठामजी, श्री सी
For Private And Personal Use Only