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________________ (६७६) ही नमो दसणस्स. १००० ही नमो चारित्तस्स. १७ ५०० ने ही नमो तवस्स. २०० ॥ हवे नव पदनां खमासमण देवानो पाठ कहे ॥ १ जामि खमासमणो वंदीनं जावणिकाए निसी हिवाए मबएण वंदामि ॥ न झी नमो अरिहं ताणं,ए प्रथम पदें श्रीयरिहंतजी बार गुणें शोजित मध्यनागें बिराजमान, उज्ज्वल वर्ण सहित एवा श्रीअरिहंत नगवंतने महारी त्रिकाल वंदना होजो २ हामि ॥ ॐ ही नमो सिक्षाणं, ए बीजे पढ़ें श्रीसिहपरमात्मा आठ गुणें शोनित, पूर्व दिशे बि राजमान, रक्तवर्ण सहित, एवा श्रीसिम जगवंत ने महारी त्रिकाल वंदना होजो. ३ बामि ॥ झी नमो आय रियाणं एत्रीजेप दें श्रीश्राचार्यजी बत्रीश गुणे शोनित, दक्षिण दिशे विराजमान, पीतवर्ण सहित, एवा श्रीश्राचार्य न गवानने महारी त्रिकालवंदना होजो. ४ लामि ॥ ही नमो नवद्यायाणं ए चोथे प दें श्री उपाध्यायजी पच्चीश गुणे शोनित, पश्चिम दिशें विराजमान, नीलवर्ण सहित एवा श्री नपा ध्यायजीने महारी त्रिकाल वंदना होजो. ५ इजामि ॥ ने ही नमो लोए सबसादणं ए पां चमे पदें श्रीसाधुजी सत्तावीश गुणे शोनित, उत्त
SR No.010285
Book TitleJain Prabodh Pustak 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1889
Total Pages827
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size62 MB
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