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(६००) रना देवोनुं नत्कृष्ट देहमान तथा आयु कहे ॥
प्रथम दश नवनपतिनी निकायमा पहेली असुरकु मार निकायना ददण श्रेणि तथा उत्तरश्रेणिना मली बे इंशेने, तेमां उत्तरश्रेणिनो अधिपति बलीइले, ते नुं आयु एकसागरोपम जाजेलं , अने दहण श्रेणि नो अधिपति चमरें ,तनुं आयु एक सागरोपम, बाकी नवनिकायना उत्तर श्रेणिना इंशेर्नु आयु बे पव्योपम कांक उछेलं जाणवू, अने दहण श्रेणिना नवनिकायना इंशेनुं आयु दोढ पट्योपम जाणवू. तथा ए सर्व दशेनिकायना देवोनुं देहमान सात हाथ प्रमाण जाणतुं. रत्नप्रना दृथिवीनो पिंग ( १60000) योजन जाडो , तेमांथी हजार यो जन नीचें अने हजार योजन उपर मूकी बाकीना ( १७०००० ) योजनमा ए दश निकायना देवो ने.
बीजा व्यंतर निकायना देवो बे प्रकारना , ए सर्व देवोनुं देहमान सात हाथर्नु , तथा जघन्यायु दश हजार वर्षनुं अने उत्कृष्टायु एक पल्योपमनुंडे, ए रत्न प्रनाष्टथिवीना नपरला हजार योजनमाथी शो योजन नीचे तथा शो योजन उपर मूकी बाकीना आवशो योजनमां व्यंतरदेवो वसे ले. तथा नपरनाम् केला शो योजनमांथी वली दश योजन नीचे तथा दश योजन नुपर मूकीयें, तेवारे बाकीना एंशी योज नमां वाणव्यंतर देवो वसे ले. "
त्रीजी ज्योतिषी देवताउनी निकाय पांच प्रकारें जे.