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कलेश ॥ २८ ॥ ६० ॥ वचन सुयां सुतनां इस्यां जी, धरणि ढली बेजी माय ॥ सावधान हुने करयुं जी, इसी म काढो वात ॥ कुमरजी, संजम विषम अपार ॥ १|| संजम बे व दो हिलो जी, जिसी खांमानीजी धार ॥ पाय नवराणें चालवुं जी, लेवो शुद्ध श्राहार ॥ ३० ॥ || कु० ॥ सं० ॥ सुवचन कुवचन लोकनां जी, सहणा पडशेजी मार ॥ राजकुमर सुकुमाल बो जी, एह न करणी सार ॥ ३१ ॥ कु० ॥ सं० ॥ साधपं दोहिलुं कयुं जी, तिलमें फेर न कोय ॥ कायरने बे दोहितुं जी, शूराने नहि होय ॥ ३२ ॥ कु० ॥ सं० ॥ उत्तर पडुत्तर बहु दुवा जी, बाप बेटानेजी माय ॥ सूत्रमहे विस्तार बेजी, देजो चतुर लगाय ॥ ३३ ॥ || कु० ॥ सं० ॥ चितशुं दीधी यागना जी, करी महोटे मंा ॥ शिबिकामां बेसाडीने जी, सोंप्यो साधुने आए ॥ ३४ ॥० ॥ इष्ट त्यंत वालो हुतो जी, स्वामी महारे ए पुत्र ॥ मरियो जामण मरणथी जी, सोंप्यो तुम कर सुत ॥ ३५ ॥ ० ॥ सिंहपणे व्रत याद रोजी, पालजो सिंहनी जेम ॥ घणुं पराक्रम फोरजोजी, मात पिता कहे एम ॥ ३६ ॥ ० ॥ इम शीखामण देश कर जी, छाया जिस दिशि जाय ॥ खंधकने जने नावगूंजी, दीक्षा दिनी मुनिराय || ३७ ॥ ६० ॥ श्रागन्या मागी साधु तणी जी, सूत्र खरथ लिया धा र || जिनकलपी पणुं यादयुं जी, एकलमल अण गार॥ ३णाक्षणा मिलि शिरदार रायने कह्युं जी, ए नान