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म ॥ तेहनी कूखें प्रवतस्था, अजित जिनेसर स्वाम ॥ २ ॥ साडा रे चारों धनुषनी, कंचन वर्णी काय ॥ बहोंतेर लाख पूर्व खानखं, श्रीजिनवरनी आय ॥ ३ ॥ पुण्यसंयोगें हुं पामियो, तमने श्री जिनराज ॥ पाप गयां सर्वे माहरा, फलिया मनोरथ श्राज ॥ ४ ॥ दीन दयाल दया करी. देजो अविचल राज || नितलाज कहे प्रभु माहरा सारजो वंबित काज ॥ ५ ॥ ॥ अथ पार्श्वजिन स्तवनं ॥ संदेशो जड़ लावे वागड देशनो रे ढोला ॥ ए देशी ॥
॥ साहेवा श्री संखेसर पासजी, प्रभुजी नवोदधि तरण ऊहाज ॥ संदेशो सुणजो वामानंदजी ॥ साहि बा धारक तारक विरूदनो, प्रभुजी ग्रहो हो गरीब निवाज || संदेशो० ॥ १ ॥ साहिबा प्रतीत चोवीशीमा वर्तता, प्रजुजी दामोदर जगवंत ॥ सं० ॥ साहिबा तेसजी जीव गणधर तेणें, प्रभुजी बिंब जराव्यो गुणवंत ॥ सं०॥ || २ || साहिबा ध्यान धयुं जब यापनुं, प्रभुजी श्रीशं खेश्वर राय ॥ सं० ॥ साहिबा प्रगट थया पातालथी, प्रभुजी विघ्न हस्यां सहु जाय ॥ सं० ॥ ३ ॥ साहिबा जनम मरण जय सवि हरो, प्रभुजी तो ए उपव कु ए मात्र ॥ सं० ॥ साहिबा इंड् चंद नागेंइथी, प्रभुजी रूप अनंतगणुं गात्र || सं० ॥ ४ ॥ साहिबा प्रातिहार्य सवि सुंदरू, प्रभुजी शोजित गुण गण वृंद ॥ सं० ॥ साहेवा सुरपति नरपति मुनिवरा, प्रभुजी सेवित पद अरविंद ॥ सं० ॥ ५ ॥ साहिबा ग्रहो निशि पदकज से