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(४२०) प्राणी मानव नव अवतार, नरीयें सुस्त नंमार रे ॥ प्राणी मान ॥ ३७॥ ए अांकणी ॥ सागर कोडा कोडी त्रएयनो रे, सुसम बीजो जेह ॥ दोय पव्योपम आनखं रे, युगल गान दोय देह रे ॥ प्राणी मान ॥ ३८ ॥ त्रीजो सुसम उसमा रे, सागर कोडा कोडी दोय ॥ एक पल्योपम युगलनो रे, कोश काया एक होय रे ॥ प्राणी मान० ॥ ३ ॥ पे हेले तुअर बीजे बोर समो रे, त्रीजे आमलधार ॥ अहम बह एकांतरो रे, सुर तरु पूरे आहार रे ॥ प्राणी मान० ॥ ४० ॥ उसम सुसम कोडा कोडी नो रे, सहस बेंथालीश कण ॥ पूर्व कोड। वरस मा नथी रे, पांचशे धनुष प्रमाण रे ॥ प्राणी मान ॥ ॥४१॥ वरस सहस एकवीशनो रे, उसमा कलियुग नाथ ॥ एकशो वीश वर्ष आनखं रे, मानव काया सात हाथ रे ॥ प्राणी मान ॥ ४२ ॥ बहो सह स एकवीशनो रे, उसमाउसम अपार ॥ वीश वरस दोय हाथना रे, मबाहारी नरनार रे ॥ प्राणी मान ॥४३॥ ए बारे अवसर्पिणी रे, नत्सर्पिण वि परीत जाण ॥ कालचक्र ए दोय मली रे, बार बारे प्रमाण रे ॥ प्राणी मान ॥४४॥ पांच नरत पांच ऐरवतें रे, तिहां सदा सरिखो काल ॥ पांचविदेह परं परा रे, चोथो अारो सुविशाल रे॥प्राणीमान॥४॥
॥दोहा॥ दश दृष्टांतें दोहिलो, मानवनो अवता र॥ शुननावें सुस्त पणे, उपनो देव मजार ॥१६॥