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पूरे सुविचार ॥ २० ॥४२॥ बि बारह नारीने, नरनां नव जाण ॥ रात दिवस वहेतां रहे, चेतो चतुर सुजाण ॥ न० ॥ ४३ ॥ सात धातु साते त्व चा, डे सातशे नाड ॥ नवशे नारां पिंममा, तिम त्रणशे हाम ॥ १० ॥ ४५ ॥ संधि एकसो साउने, सत्तोतेर सो मर्म ॥ तिन दोष पेशी पांचशे, ढांक्यां ने चर्म ॥ १०॥४५ ॥ रुधिर शेर दश देहमें, पेसाब सरीष ॥ शेर पांच चरबी तिहां, दोय शेर पूरीष ॥ न ॥ ४६ ॥ पित्त टांक चोश, वीरज बत्री श॥ टांक बत्रीश सलेषमा, जाणे जगदीश ॥ ॥ न० ॥ ४५ ॥ण परिमाणथकी जदा, उदो अधिको थाय ॥ व्यापे रोग शरीरमें, नवि चले तव काय ॥ ॥ ४ ॥ पोष्यो पहिले दायके, इम वाध्यो अंग ॥ खान पान नूषण जलां, करे नव न व रंग॥ न० ॥ ४ए ॥ हवे बीजे दशके जणे, विद्या विविध प्रकार ॥ त्रीजे दशके तेहने, जाग्यो काम विकार ॥ न० ॥ ५० ॥ जिण थानक तुं उपन्यो, तिणमें मन जाय ॥ चोथे दशके धन त णा, करे कोडि नपाय ॥ न० ॥ ५१ ॥ पहोतो दशके पांचमे, मनमां ससनेह ॥ बेटा बेटी ने पो तरा, परणावे तेह ॥ न ॥ ५५ ॥ बठे दशके प्राणियो, वली परवश थाय ॥ जरा प्रावी यौवन गयुं, तृष्णा तोय न जाय ॥ १० ॥ ५३ ॥ याव्यो दशके सातमें, हवे प्राणी तेह ॥ बल नांग्युं बूढो थ