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(३६) चंदो। मुनि वण्य समय इम बोले, ए त्रण कालें वंदो रे ॥ जी डा० ॥ ७ ॥ इति ॥
॥अथ रहने मिनी सद्याय प्रानः ॥ ॥ कानस्सग्गथकी रे रहने मि, राजुल निहाली॥ चित्तडं चलियुं तव बोले नार रे ॥ देवरिया मुनिवर, ध्यानमा रेजो ॥ ध्यान थकी होये नवनो पार रे ॥ ॥ देव ॥१॥ उत्तम कुलना यादव कुल रे अजुआ ली, लोधो ने संयम नार॥ देव ॥ हुँ रेवती रे तुं ने संयम धारी, जाशो सरवे व्रतहारी रे॥ देव ॥ ॥ ध्या० ॥ २ ॥ विषधर हिष वमी आप न लेवे, क रे पावक परिचार रे ॥ देव ॥ तुफ रे बांधत नेमजी यें मुजने रे वामी, वम्यो न घटे तुमने आहार के ॥ देव ॥ ध्या० ॥ ३॥ नारी अ रे जगमां विपनी रे वेली, नारी अवगुणनो नंमार रे ॥ देव॥नारी मोहें रे मुनिवर जेह विगृता, ते नवि लहे नव पार रे॥ देवाध्या॥॥नारीनुं रूप देखी मुनिने न रहे,, ए बागममा अधिकार रे ॥ देव ॥ नारी निःसं गीतेतो मुनिवर कहीयें, न करे फरी संसार रे॥ ॥ देव० ॥ ध्या० ॥ ५ ॥ एरे सतीनां मुनिवर व यण सुणीने, पाम्या नव प्रतिबोध रे ॥ देव ॥ ने मजी नेटीने फरी संयम लीधो, कस्यो ने आतम शो ध रे ॥ देव ॥ ध्या० ॥ ६॥ धन्य रे सती रे जेणें मुनि प्रतिबोध्या, धन धन ए अगार रे॥ देव ॥