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मी (२२४) ॥म ॥ गुदि सातमथी तमें मांगो जी ॥ मनो० ॥ घरनां आरंन सवि बांको जी ॥म० ॥ ॥ पहेले पदें अरिहंत सेवो जी ॥म ॥ यापे मुक्तिनो मेवो जी॥म० ॥ बीजे पर्ने सिम सोहावे जी॥मनो॥ मनगुडे पूजो नले नावें जी ॥ म ॥३॥ प्राचार्य तीजे पदें नमो जी ॥म०॥ तमें कोध कषायने दमो जी॥म० ॥ नवजाय ते चोथा वंदो जी ॥मनो॥ साधु पांचमे देखी आणंदो जी ॥म ॥ ४ ॥ बछे दरिसन पद जाणो जी ॥ म० ॥ श्रीझानने सातमे वखाणो जी ॥ म ॥ चारित्र पद याम्मे सोहे जी ॥ म ॥ वली नवमे तप मन मोहे जी ॥'सनो० ॥ ॥ ५॥ रस गारव आंबिल कीजें जी ॥म० ॥ तो मुक्ति तणां फल लीजें जी ॥म ॥ संवत्सर युगषट मासें जी ॥म ॥ तप कीजे मनने नन्नासें जी॥ ॥म ॥ ६ ॥ ए तो मया ने श्रीपाल जी॥ म० ॥ तप कीg था नजमाल जी ॥ म ॥ तेनो कोढ श रीरनो टाल्यो जी ॥ म०॥ जगमां जस वास प्रगटा यो जी ॥म ॥ ७ ॥ पंचम काले तुमें जाणो जी॥ ॥ म० ॥ परगट परतो परमाणो जी ॥म ॥ एर्नु गणगुं तेर हजार जी ॥म० ॥ तमें धारो हृदय म कार जी ॥ म० ॥ ७ ॥ नरनारी ए पद ध्यावे जी॥ ॥ मनो० ॥ तेतो संपद सघली पावे जी ॥ मनो॥ मुनि रत्नसुंदर सुपसाय जी ॥म ॥ सेवक मोहन गुण गाय जी ॥ मनो० ॥ ॥ इति ॥