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(१०) घूघरनो घमकार ॥ त्रिशला विविध वचनें हरखी गा ये हालरूं, खेंचे फुमतिवाली कंचन दोरी सार ॥ मा ताम् ॥ ११ ॥ मारो लाडकवायो सरखा संगें रमवा जशे, मनोहर सुखडली ढुं आपिश एहने हाथ ॥ जोजन वेला रम जम रम ऊम करतो आवशे, दुं तो धाइने नीडावीश हृदया साथ ॥ माता० ॥१२॥ हंस कारंभव कोकिल पोपट पारेवडा, मांही बप्पैया ने सारस चकोर ॥ मेनां मोर मेव्यां ले रमकडां रमवा तणां, घम घम घुघरा वजावे त्रिशला कि शोर ॥ माता ॥ १३ ॥ मारो वीरकुमर निशालें न गवा जायशे, साथें सऊन कुटुंब परिवार ॥ हाथी रथ घोडा पालायें नलुं शोनतुं, करी निशालगर' अति मनोहार ॥ माता ॥ ११ ॥ मारा वीर समा णी कन्या सारीलावगुं, मारा कुमरने परणावीश मोहोटे घेर ॥ मारो लाडकडो वर राजा घोडे बेसशे, मारो वीर करशे.सदाय लीला लहेर ॥ माता॥ ॥१५॥ माता त्रिशला गावे वार कुमरनुं हालरु, मा रो नंदन जीवजो कोडी वरीस ॥ ए तो राजराजेसर थाशे नलो दीपतो, मारा मनना मनोरथ पूरशे जगी श॥ माता० ॥ १६॥ धन्य धन्य दत्रीकुंम गाम म नोहरु, जिहां वीरकुमरनो जनम गवाय ॥ राजा सि हारथना कुलमांहे दिनमणि, धन्य धन्य त्रिशला राणी जेहनी माय ॥ माता ॥ १७ ॥ एम सहीयर टोली नोली गावे हाललं, थाशे मनना मनोरथ तेहने घेर॥