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(१२) नासे जी॥ अष्ट महासिदि नव निधि लीला, आवे बदु महमूर पासें जी ॥ श्री० ॥ ॥ मयमत्ता अं गण गज गाजे, राजे तेजी तुरखार ते चंगा जी ॥ बेटा बेटी बंधव जोडी, लहियें बदु अधिकार रंगा जी ॥ श्री० ॥ ॥ वलन संगम रंग सहीजें, अण वाहला होय दूर सहेजें जी॥ वांडा तणो विलंबन न दूजो, कारज सीके नूरि सहेजें जी॥श्री० ॥३॥ चं किरण उज्ज्क्स यश उलसे, सूरज तुल्य प्रतापी दीपे जी॥ जे प्रनु नक्ति करे नित्य विनये, ते अरियण बहु प्र तापी जीपे जी ॥ श्री० ॥ ४॥ मंगल माला सही विशाला, बाला बटुले प्रेम रंगें जी॥ श्रीनय विजय विबुध पय सेवक,कहे लहियें सुख प्रेम अंगें जी॥५॥
॥ अथ श्री नेमिनाथ जिन स्तवनं ॥ ॥ बाटला दिन हुँ जाणतो रे हां ॥ ए देशी ॥ तोरण यावी.रथ फेरि गया रेहां, पगुयां दे दोश ॥ मेरे वालमा ॥ नव जवनेह निवारियो रे हां, श्यो जो आव्या जोश ॥मे॥१॥ चंद कलंकी जेहथी रें हां, रामने सीता वियोग मे॥ तेह कुरंगने वयगडे रे हां, पति आवे कुण लोग ॥ मे॥॥ उतारी हुँ चित्तथी रे हां, मुक्ति धूतारी हेत ॥ मे० ॥ सि६ अ नंतें जोगवी रे हां, तेहा कवण संकेत ॥ मे ॥३॥ प्रीत करतां सोहिली रे हां, निरवहेतां जंजाल ॥मे॥ जेहवो व्याल खेलाववो रेहां,जेहवी अगननी जाल ॥मे॥४॥ जो विवाह अवसरे दिन रे हां, हाथ उ