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॥ ढाल चोथी॥ ॥तारेमाथेपंचरंगीपाग,सोनारो बोगलोमारुजीएदेशी
॥ प्रनु अापी वरसी दान नखं रवि गते॥ जिनव रजी॥ एक कोडीने आठ लाख सोनश्या दिन प्रते॥ जि॥मागशिरवदि दशमी उत्तरा योगें मन धर॥जिन जाईनी अनुमति मागी नंतीदा वरी॥जि॥१॥ नेह दिवमथकी चननाणी प्रनुजी थया ॥ जि ॥ धिक एक वरसते चीवर धारी प्रनु रह्या ॥ जि० ॥ पनें दी धुं बंजणने बे वार खंमो खंमें करी ॥ जि ॥ प्रवि हार करे एकाकी अनिग्रहभित धरी॥ जि ॥२॥सा डाबार वर्षमां घोर परीसह जे सह्या । जि॥ शूलपा णीने संगम देव गोशालाना कह्या ॥ जि ॥ चमको शीने गोवालें खीर रांधी पग परें ।जि ॥काने खी ला खोस्या ते कुष्ट सदु प्रनु नहरे ॥ जि॥३॥लेश अडदना बाकला चंदन बाला तारियां ॥ जि ॥ प्रनु पर नपगारी सुरक उरक सम धारिया ॥ जि ॥ उमासी बेनें नव चोमासी कहीएं रे ॥ जि० ॥ अढीमास त्रि मास मोढमास ए बे वेलहीएं रे ॥ जि॥४॥ पट कीधा वे वे मास प्रनु सोहामणा जि॥ बार मासने परक बहोतर ते रलीयामणा ॥ जि ॥ बह बसें नंग पत्रीश बार अहम वखाणीयें ॥ जि ॥ जादिक प्र तिमा दिन वे चौदश जाणीयें ॥जि॥॥ साडा बार वर तप कीधां विण पाणीयें ॥ जि०॥ पारणा त्रण में जंगण पंचास ते जाणीयें ॥जि॥ तव कर्म खपावी